Sunday, February 14, 2010

भारतीय खिलाड़ियों को कपड़े तक नसीब नहीं !!

हिंदुस्तान का तो ठीक है जानिये हिंदुस्तान के बाहर अपने ओलंपिक खिलाडियों की बदहाली का आलम, सरकार अपने देश में रह रहे अरबों  नागरिकों का ख्याल तो रख नहीं सकती दूसरे देश में खेलने जा रहे खिलाडियों के लिए कुछ आशा करना बेमानी बात होगी.

कनाडा के वैंकूवर में शुरु विंटर ओलंपिक की पदक तालिका में भारत कहां पर होगा, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसके खिलाड़ियों के पास न पहनने को यूनीफ़ॉर्म थे और न ही उन्हें पर्याप्त धन मुहैया कराया गया.
कनाडा की स्थानीय मीडिया ने इस मुद्दे को उठाया जिसके बाद वहां रह रहे भारतीय समुदाय के लोग मदद के लिए आगे आए.
खेल से जुड़े सामान बेचने वाले एक दुकानदार ने तीन सदस्यीय भारतीय दल को ट्रैक सूट मुफ़्त में दे दिया ताकि वे उदघाटन समारोह में शामिल हो सकें.
दुकानदार ने कहा कि अब वे भारतीय ऱाष्ट्रीय ध्वज तैयार कर रहे हैं ताकि खिलाड़ियों के यूनीफ़ॉर्म में उसे लगाया जा सके.
एक स्थानीय पंजाबी रेडिये स्टेशन ने ये ख़बर मिलते ही भारतीय समुदाय के लोगों से आर्थिक मदद के लिए आगे आने की अपील की.

शर्मनाक

भारतीय दल में एक लूगर (बर्फ़ पर रेसिंग करने वाले खिलाड़ी) और दो स्कीइंग खिलाड़ी हैं.
लूगर शिवा केशवन का ल्यूज (जिसके सहारे रेस होती है) भी भारत में वकीलों ने उपहार स्वरूप दिया था

पाँच वकीलों ने मिल कर साढ़े चार लाख रूपए केशवन को दिए जिससे उन्होंने नया ल्यूज ख़रीदा. नवंबर तक वह अपने पुराने ल्यूज़ से अभ्यास कर रहे थे जिसमें कई जगह टेप लगे थे और स्क्रू लगाकर टाइट रखा गया था लेकिन वह टूट गया.
मदद के लिए आगे आए दुकानदार टीजे जोहाल ने स्थानीय मीडिया सीबीसी को बताया कि जब उन्होंने सुना कि भारतीय दल के पास उदघाटन समारोह में शामिल होने के लिए यूनीफ़ॉर्म नहीं हैं, तो वह दंग रह गए.
उनका कहना था, "मेरी पहली प्रतिक्रिया थी कि कोई मज़ाक कर रहा है. वे भारत से हैं जो कपड़ों का देश है और उनके पास कपड़े नहीं हैं? लेकिन तीसरी दुनिया के देशों की यही सच्चाई है."
रेडियो स्टेशन आरजे 1200 की मालिक सुषमा दत्त ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने रेडिये के ज़रिए अपील करके लोगों से आठ हज़ार कनाडाई डॉलर इकट्ठे किए हैं.
भारतीय टीम के कप्तान शिवा केशवन ने इस मदद के लिए आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा, "दुनिया के दूसरे कोने में अपने समुदाय के लोगों से इस तरह की मदद से मुझे गर्व महसूस हो रहा है."
केशवन ने बताया कि वह चौथी बार विंटर ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं. वो कहते हैं कि एक दशक तक खेलने के बाद पहली बार भारत सरकार ने पिछले साल उन्हें 20 हज़ार डॉलर की राशि उपलब्ध कराई थी.
भारतीय सरकार को शर्म आनी चाहिए की कम से कम देश की इज्ज़त का देश के बहार तो कोई रखवाला नियुक्त करे, ये पहली बार नहीं है की ऐसा कुछ हुआ हो, ऐसे वाकये होते रहे हैं और होते रहेंगे जब तक की कोई इन बातों की सुध नहीं लेता.

बी बी सी की हिंदी सेवा से प्रेरित !

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